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हार

दुनियां में दो तरीके के हारने वाले लोग होते हैं । एक वो जो जिंदगी में एक बुरा दौर आने पर खुद से हार जाते हैं और जिंदगी से हमेशा नाराज रहते हैं । दूसरे वो जो बुरे से बुरे दौर में भी जिंदगी की नई चुनौतियां स्वीकारते हैं , अपनी हार को एक नई सीख समझ हस्ते हुए अपनी जिंदगी जीते हैं । ये सब आप पर निर्भर करता हैं कि आप हारने पर कौन सा तरीका अपनाते हैं क्योंकि हमेंशा जीत ही हो ऐसा होना संभव नहीं ।।😊

जिंदगी में उतार-चढाव

देखा जाए तो जिंदगी का हर एक लम्हा हमें हमेंशा एक न एक महत्वपूर्ण बात सीखता है । जब जिंदगी में जब उतार-चढाव आता है तो अकसर आधे लोग खुद को हारा हुआ मान लेते हैं और अपनी क्षमताओ पर और खुद पर सन्देह करते है । अगर आप एक बार हार भी गए तो इसका मतलब ये तो नहीं कि अब कभी जीत हो ही नहीं सकती । सच कहूँ तो कई बार जिंदगी में हार भी जरुरी है ताकि हमें ये तो पता चले कि हमें खुद के लिए कौन-कौन सी गलतफहमियां हैं जिससे आगे जीत सुनिश्चित हो सकें । उतार-चढाव तो जिंदगी का एक साथी है जो हमेंशा हमारे साथ चलता रहता है इसीलिए न तो कभी जीतने पर खुद को अपराजेय समझे और न हारने पर अपनी क्षमता पर सन्देह करें । "अपनी क्षमताओ को पहचाने और हार मत मानिए"।।

देशभक्ति या दिखावा??

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उन्होने तो यह सोच कर आजादी दिलाई थी, यह सोच कर देश का संविधान बनाया था कि हमारी आने वाली भारतीय युवा पीढी उनके जाने के बाद देश का गौरव बढायेगी,देश का हर नागरिक (युवा) भारत मां की सेवा में अपना सहयोग देगा । लेकिन आज यदि वो होते तो उनके अंदर का भी देशभक्त मर जाता जब देखते की जिन युवाओं के लिए वो देश पर जान की बाजी लगा रहे है, जिन युवाओं के लिए संविधान बना रहें हैं वो युवा तो बस चंद ताऱीखो में ही भाऱत माता को याद किया करते है, अपने देश में ही नारेबाजी करके भारतीयता का अपमान करते हैं,तिरंगे के सामने राष्ट्रगान गाने के लिए अपने बिस्तर से तक निकलने का जज्बा नही रखते । आज तो बस युवाओं का देशभक्त सोशल मीडिया पर ही जागता है ।। अगर आज मेरे देश में ये सब नही होता तो मैं भी अपने सोशल-मीडिया नेटवर्क पर भारत माता की जय लिखता, सभी को गणतन्त्रता दिवस की शुभकामनाये देता मगर अफसोस यह है ये सब देख कर ,ये सब सुन कर मेरा दिल कहता है तुम भी तो बाकी सभी की तरह  सोशल -मीडिया नेटवर्क तक ही अपनी देशभक्ती दिखा रहे हो । देशभक्ती दिखानी है तो देश के हित के लिए

युवा नीति

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भारत लगभग 65% युवा आबादी वाला देश है लेकिन आज किसी को उसकी फिक्र नहीं । मुहं से कह देते है भारत यंग कंट्री है लेकिन आप उनका प्रयोग करने की स्थिति में ही नही हो। अगर आप उनके लाभ के लिए कुछ कर सकते हो तब आप कह सकते हो ये है हमारी युवा आबादी ये है ये हमारा युवा भारत है । लेकिन कौन सोचता है कि आपके गांव में, आपके शहर में, आपके जिले में, आपके राज्य में कितने लोग बेरोजगार है क्या किसी को फिक्र है इस बात की? घर वालो को हो सकती है फिक्र लेकिन क्या सिस्टम को फिक्र है?? कायदे से शहर और गांव के युवकों के लिए अलग - अलग युवा नीति होनी चाहिए जो की  अभी तक यूथ पॉलिसी में नही है क्योकी एक तरफ गांव का युवक जो खेती में लगने वाला, मजदूरी करने वाला है और उसकी तुलना में शहर का जो उच्च शिक्षा /डिपलोमा ले रहा है अब इन दोनो के लिए एक जैसी योजनाएँ तो हो ही नही सकती । आपके देश में किस व्यवसाय में कितने मजदूरों की जरुरत है आपको कहां किस दर्जे के लोगों की ज़रूरत इसका पूरा हिसाब होना चाहिए तब आप एक योजना बनाइये । आप ये सोच के चलो कि आज देश को खेती की दृष्टि से आत्मनिर्भर रखने के लिए

अपनी खुद की दुनियां

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काफी लोगो को जिंदगी से यह शिकायत रहती है कि कोई उनसे बात नही करता, कोई उनसे उनके बारें मे नही पूछता बस इन्ही बातों का दुख मना कर वो खुद को हमेशा अकेला समझते हैं । सही मायने में देखा जाए तो जिंदगी कभी किसी के सहारे पर नही चलती यदि आप अपने काम में, अपनी खुद की दुनियां में व्यस्त रहोगे तो कभी खुद को अकेलेपन में कभी महसूस नही करोगे ।। जिंदगी में अपनी खुद एक दुनियां बनाओ जिसमें सुबह से शाम तक आप वो काम करो जो आप को पसंद हो, जिसमें आपको हमेशा मजा आता हो, जिसमें आपको हमेशा कुछ न कुछ सीखने को मिलता हो,जिंदगी में हमेशा अपनी आत्मशान्ति के लिए आगे बढो  और देखना आप कभी खुद को अकेला महसूस नही करोगे ।।

जिंदगी और मुश्किलें

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देखा जाए तो जिंदगी और मुश्किलों में आपस में कुछ अटूट संबंध है । मुश्किलें हर कदम पर जिंदगी को चुनौती देती रहती है ।। यदि कोई काम बिना मुश्किल के हो जाए तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई चमत्कार हुआ हो हम सामान्य जिंदगी की बात करे तो सुबह से शाम तक जिंदगी में मुश्किलें ही मुश्किलें नज़र आती है -घर में सुबह पानी न आए तो मुश्किल, काम के लिए देर हो जाएं तो मुश्किल,मालिक को काम पसंद न आए तो मुश्किल , घर में कुछ परेशानीयां हो जाएं तो मुश्किल , यही अगर विद्यार्थी जीवन की बात करें तो - सुबह देर से क्लास गए तो मुश्किल, प्रोजेक्ट समय से न हो तो मुश्किल, रात को पड़ते वक्त लाइट चले जाए तो मुश्किल।। जिंदगी कुछ ऐसी ही छोटी-बड़ी मुश्किलों से रोज गुजरती है सच कहूं तो हमारा हर दिन मुश्किलों से भरा रहता है पर इसका मतलब यह नही की मुश्किलों के देख कर मुश्किलों से हार कर उसकी सजा हम अपनी जिंदगी को दें और कुछ उल्टे कदम उठा लें। हमारी जिंदगी में मुश्किलें दो तरह की होती है -एक जो हमें रुला दें और दूसरी जो हमें लड़ने पर मजबूर कर दें।। मुश्किलों के देख कर रोना, कमजोर पड़ना किसी

प्रेम-एक अनोखी परिभाषा

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" प्रेम "यूं तो यह शब्द खुद में ही एक दुनियाँ है पर अगर मै इस दुनियाँ के छोटे से हिस्से पर नज़र डालूं तो पाता हूं कि प्रेम एक शक्ति है, एक ताक़त है, एक सकारात्मक ऊर्जा है, एक मजबूती है । लेकिन आज नज़र आता है तो केवल मायूसी, अंहकार ,गुस्से, नफरत से भरे लोग ।। किसी एक व्यक्ति या वस्तु की चाहत रखते हैं और चाहत पूरी न होने पर जिंदगी को कोसते है और भगवान से तमाम शिकायतें करते रहते है । अरे प्रेम कोई चाहत नही जिसे पूरी होने से खुशी और अधुरी रहने से मायूसी हो, सच्चा प्रेम तो प्राकृति का संतुलन है, मीरा की भक्ति है, सूर्य का तेज है, चन्द्रमा की शीतलता है, प्रेम मां की ममता है । एक बार बस एक बार ऐसे प्रेम की अनुभूति करके  तो देखो जीवन मे एक ऊर्जा का स्त्रोत पैदा न हो जाए तो कहना।। प्रेम केवल एक व्यक्ति या वस्तु तक ही सीमित नही है । प्रेम तो असीमित है ।। प्रेम करना है तो खुद से करो, सकारात्मक सोच से करो, जिंदगी से करो,अपने लक्ष्य से करो प्राकृति से करो व अपने काम से करो । यदि ऐसे प्रेम की अनुभूति हो जाए तो बड़ी -ब