सामर्थ्य
बात अगर हम अपनें सामर्थ्य की करें तो अकसर हम मुश्किलों को देख खुद को कुछ करने से रोक लेते है औऱ उस काम को करने की उम्मीद छोड़ देते है ।
लेकिन यदि एक बीज को देखे तो हम उसे ज़मीन के नीचे दफना देते है, फिर भी उसमे इतना सामर्थ्य होता कि वो अपनी सीमाओं से परे जाकर ज़मीन का सीना चीर अपनी शाखाऍ बनाता है औऱ एक बड़ी उम्मीद लेकर अपने सपनों के आसमान को देखता है ।
लेकिन यदि एक बीज को देखे तो हम उसे ज़मीन के नीचे दफना देते है, फिर भी उसमे इतना सामर्थ्य होता कि वो अपनी सीमाओं से परे जाकर ज़मीन का सीना चीर अपनी शाखाऍ बनाता है औऱ एक बड़ी उम्मीद लेकर अपने सपनों के आसमान को देखता है ।
जब एक बीज ज़मीन के नीचे रहकर अपनी सीमाओं के परे बड़ी शाखाऍ बना सकता है तो हम तो फिर भी ज़मीन के ऊपर रहते है हम क्यों नही!!?
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