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देशभक्ति या दिखावा??

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उन्होने तो यह सोच कर आजादी दिलाई थी, यह सोच कर देश का संविधान बनाया था कि हमारी आने वाली भारतीय युवा पीढी उनके जाने के बाद देश का गौरव बढायेगी,देश का हर नागरिक (युवा) भारत मां की सेवा में अपना सहयोग देगा । लेकिन आज यदि वो होते तो उनके अंदर का भी देशभक्त मर जाता जब देखते की जिन युवाओं के लिए वो देश पर जान की बाजी लगा रहे है, जिन युवाओं के लिए संविधान बना रहें हैं वो युवा तो बस चंद ताऱीखो में ही भाऱत माता को याद किया करते है, अपने देश में ही नारेबाजी करके भारतीयता का अपमान करते हैं,तिरंगे के सामने राष्ट्रगान गाने के लिए अपने बिस्तर से तक निकलने का जज्बा नही रखते । आज तो बस युवाओं का देशभक्त सोशल मीडिया पर ही जागता है ।। अगर आज मेरे देश में ये सब नही होता तो मैं भी अपने सोशल-मीडिया नेटवर्क पर भारत माता की जय लिखता, सभी को गणतन्त्रता दिवस की शुभकामनाये देता मगर अफसोस यह है ये सब देख कर ,ये सब सुन कर मेरा दिल कहता है तुम भी तो बाकी सभी की तरह  सोशल -मीडिया नेटवर्क तक ही अपनी देशभक्ती दिखा रहे हो । देशभक्ती दिखानी है तो देश के हित के लिए

युवा नीति

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भारत लगभग 65% युवा आबादी वाला देश है लेकिन आज किसी को उसकी फिक्र नहीं । मुहं से कह देते है भारत यंग कंट्री है लेकिन आप उनका प्रयोग करने की स्थिति में ही नही हो। अगर आप उनके लाभ के लिए कुछ कर सकते हो तब आप कह सकते हो ये है हमारी युवा आबादी ये है ये हमारा युवा भारत है । लेकिन कौन सोचता है कि आपके गांव में, आपके शहर में, आपके जिले में, आपके राज्य में कितने लोग बेरोजगार है क्या किसी को फिक्र है इस बात की? घर वालो को हो सकती है फिक्र लेकिन क्या सिस्टम को फिक्र है?? कायदे से शहर और गांव के युवकों के लिए अलग - अलग युवा नीति होनी चाहिए जो की  अभी तक यूथ पॉलिसी में नही है क्योकी एक तरफ गांव का युवक जो खेती में लगने वाला, मजदूरी करने वाला है और उसकी तुलना में शहर का जो उच्च शिक्षा /डिपलोमा ले रहा है अब इन दोनो के लिए एक जैसी योजनाएँ तो हो ही नही सकती । आपके देश में किस व्यवसाय में कितने मजदूरों की जरुरत है आपको कहां किस दर्जे के लोगों की ज़रूरत इसका पूरा हिसाब होना चाहिए तब आप एक योजना बनाइये । आप ये सोच के चलो कि आज देश को खेती की दृष्टि से आत्मनिर्भर रखने के लिए