युवा नीति

भारत लगभग 65% युवा आबादी वाला देश है लेकिन आज किसी को उसकी फिक्र नहीं । मुहं से कह देते है भारत यंग कंट्री है लेकिन आप उनका प्रयोग करने की स्थिति में ही नही हो। अगर आप उनके लाभ के लिए कुछ कर सकते हो तब आप कह सकते हो ये है हमारी युवा आबादी ये है ये हमारा युवा भारत है ।
लेकिन कौन सोचता है कि आपके गांव में, आपके शहर में, आपके जिले में, आपके राज्य में कितने लोग बेरोजगार है क्या किसी को फिक्र है इस बात की?
घर वालो को हो सकती है फिक्र लेकिन क्या सिस्टम को फिक्र है??
कायदे से शहर और गांव के युवकों के लिए अलग-अलग युवा नीति होनी चाहिए जो की  अभी तक यूथ पॉलिसी में नही है क्योकी एक तरफ गांव का युवक जो खेती में लगने वाला, मजदूरी करने वाला है और उसकी तुलना में शहर का जो उच्च शिक्षा /डिपलोमा ले रहा है अब इन दोनो के लिए एक जैसी योजनाएँ तो हो ही नही सकती ।
आपके देश में किस व्यवसाय में कितने मजदूरों की जरुरत है आपको कहां किस दर्जे के लोगों की ज़रूरत इसका पूरा हिसाब होना चाहिए तब आप एक योजना बनाइये ।
आप ये सोच के चलो कि आज देश को खेती की दृष्टि से आत्मनिर्भर रखने के लिए कितने किसानो की जरुरत है जो आने वाले समय में मन से खेती करेंगे वो लडके जो गांव में है उन्हे अच्छा किसान बनाने के लिए भी देश को चिन्ता करनी चहिए ।।
आप एक बात पर गौर कीजिये यदि सभी गांव छोड कर शहर में आ जायेंगे तो क्या इंसान मिट्टी खायेगा या  कारखानो में अनाज पैदा होगा?  अनाज तो हमेशा मिट्टी में पैदा होगा इसीलिये अनाज पैदा करने के लिए किसानो की संख्या को बढाना होगा जो देश की खेती देखेगी आपको उतने लोगो को रोकना पडेगा गांव में आपको उनको समझाना होगा, यह विश्वास दिलाना होगा कि सरकार से खेती के लिए भरपुर सहायता मिलेंगी ।
गांव के यूथ के लिए कुछ इस प्रकार की योजनाएँ दें -खेती में उन्हे 0% ब्याज पर लोन, पेसटीसाइड उपलब्ध कराऍ अगर कोई पॉली हाउस में काम करना चाहता है तो वो उसकी सहायता उसे सरकार की ओर से मिले ।
आप एक जगह चुन लो अगर वहाँ 1000 युवक है तो उन 1000 युवकों को चुन लो 1000 युवकों को 1000 पॉली हाउस मे काम कराओ इस तरह से योजना बने तो कम खर्चे में ज्यादा आमदनी हो सकती है ।
जब आप उन्हे सरकारी सहायता के साथ खेत में खडे करोगे तो वो आपके हिसाब से काम करेंगे आपके लिए, इस देश के अनाज, सब्जी, फल उगाएगें और सबसे बढिया गांव के युवक अपने पैरो पर खडे हो जायेंगे ।कुछ इस तरह गांव के युवकों के लिए हमारी युवा नीति होनी चहिये ।।
देखा जाए तो जो लोग गांव से शहर जा रहे है वो गांव की गरीबी माथे पे बांध के जा रहे है और साथ-साथ वें लोग अपने क्लचर से भी कट रहे है औऱ जाकर झुग्गी झोपड़ियों वाली जिंदगी जीते है कोई वहां बर्तन थोता है 1 कमरे में 10-10 लोग रहते है, सरकारी नल के नीचे नहाते है इस तरह से कई लोग झुग्गी झोपड़ियों  वाली जिंदगी दिल्ली,मुम्बई में जी रहे है ।ऐसा ही रहा तो धीरे-धीरे गांव खाली हो जायेंगे औऱ शहर में अनावश्यक भीड़ हो जायेगी ।
शहर के युवकों के लिए कुछ अलग नीति होनी चहिये ।
देश की पॉलिसी का यह अहम मुद्दा होना चाहिये कि गांव के लोग गांव रुके, पढने के लिए शहर आए पर नौकरी के लिए शहर को अपना घर न बनाए ।
अगर गांव के युवकों को गांव रोका जाए तो गांव जिंदा रहेंगे और शहर में अनावश्यक भीड़ कम होगी वरना जहां चींटीयों की तरह लोग भर जाए वहां आप सफाई अभियान की बातें कहां करोगे ।
आप गांव के आदमी वही सुविधा गांव में दे दोगे जो शहर में है तो वह गांव मे ही रुकेगा और ऐसा यदि हो तो शहर से भी गांव के लोग वापस आएगें और शहर से अनावश्यक भीड़ कम होगी ।
अगर आप देश के विकास की बात करते हो तो आपको थोडा इस तरह सोचना पडेगा ।ऐसी योजना एक दिन मे पूरी होने वाली नही है इसीलिये 10-20 साल आगे की सोचो अगर आप इसे पॉलिसी फ्रेम में लिखो कि साहब हमारी 10 साल की योजना यह है कि गांव का युवक गांव रुके और शहर से गांव की तरफ रिवर्स माईग्रेसन हो यह हमारी नीति है तब पॉलिसी के लिए योजनाएं बनेगी । 2025 तक ऐसा जाए कि यूथ गांव से नही भागे हम यह चाहते है कि वो गांव रुके कुछ ऐसी नीति हो जिसमे जो युवक बेरोजगार है उन्हे 2025 तक रोजगार देंगे क्योकी ऐसा न होने से देश का ही नुकसान है ।
आप एक कल्पना कीजिये आपके घर कोई आए और पूछे कि आपके घर में कितने लोग बेरोजगार है यदि है तो उनके लिए हमारे पास 4 विकल्प है आप अपने हिसाब से काम कीजिये आपको काम करना ही होगा आप खाली नही बैठ सकते ऐसी हमारे सरकार की नीति है ।
इसके लिए सरकार के पास ये डाटा हो कि कितने बेरोजगार हैं उनमे से कितने इंजीनियर, कितने डाकटर, कितने बी.ए, कितने पी. एच. डी. वाले है जिससे आप यह सर्च कर सके की शहर में कितने लोग पढे-लिखे है लेकिन बेरोजगार हैं जिनके पास कोई काम नही है उनके पास जाए और उन्हे सरकारी सहायता से थोडा काम दें ।
इसीलिये पहले गांव के युवकों को वहां रोकने की योजना बनाओ जिससे वहां के युवक शहरआऍ और फिर बचे हुए शहर के काबिल लोगों को रोजगार दो ।
अगर ऐसी कोई युवा नीति हो तो गांव का बंदा गांव में खुश रहेगा और शहर का बंदा शहर में।
जब गांव में रोजगार मिल जाए तो गांव को कोई भी युवक शहर नही आयेगा और इससे शहर में भी अनावश्यक भीड़ नही होगी ।

कुछ ऐसी युवा नीति हो तो गांव और शहर दोनो जगह के युवक बेरोजगार नही रहेंगे और साथ -साथ हमारे देश की उन्नति में देश के काम भी आऍगे।।।

Comments

  1. One can clearly see the anguish of the migration from the villages with these words. Yes we do have to save our villages and farmers and for that proper work has to be done. But there is the other side of the coin and that is the vast population of our democratic country which on will can change anything in this country.. So i request u to please write for the roles and responsibility of an individual in building our nation. If each person contribute as per his capability our nation would have reached great heights.. I appreciate your concern for the villages, youth and nation. Carry on

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  2. Very well explains the present situation of the country. The suggested steps are very practical.

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  3. Thanks to all Seniors for valuable feedback. It's simply Truth of Youth 😊

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  4. Gaun se playan or kheti na krne ki ek wjah jangali janwaro jese suar or bandaro ka bachi kuchi kheti khrab krna bi kha jata h, jis wjah se log dhere dhere kheti chhod, shehro ki traf jake choti-moti naukri krna jada psnd krre h.Gaun dhere dhere khali hote jare h, sarkar ko pahado m kheti ko jada se jada protsahan dena hi chahiya.
    Aapke kai vichar shi m sarahniye h...

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    1. वन विभाग भी सरकार के दायरे मे आता है लेकिन मैने कभी नही सुना ही उत्तराखण्ड के गांव में कभी वन विभाग वालो ने उन सुअरों व् बंदरों के विषय में कुछ सोचा हो।।

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