छोटी-छोटी ग़लतियाँ

पानी की छोटी-छोटी बूंदों से घडा भरता है, छोटी-छोटी ईंट से एक बड़ा घर बनता है, जीवन मे कुछ भी ज्यादा /बड़ा करना हो तो उसकी शुरुआत भी एक छोटे सिरे से या कम मात्रा से ही होती है!
इतना तो खेर सभी लोग जानते है कि छोटी-छोटी ईंटों से एक बड़ा घर बनता है लेकिन जब छोटी-छोटी ग़लतियाँ करते है तो यह  कोई नही सोचता कि छोटी-छोटी ग़लतियाँ एक दिन बड़ी ग़लती को अंजाम दे सकती है!!
यह सच ही तो है हम अपनी छोटी-छोटी ग़लतियों मे कभी ध्यान नही देते और अगर कोई हमारी ग़लतियों को बता भी तो हम अकसर जवाबी तौर पर कह देते है "छोटी-छोटी बात पर क्या गंभीर (serious) होना" लेकिन जब छोटी गलती एक बड़ा आकार ले लेती है तो उस समय ऐहसास होता है उन छोटी-छोटी ग़लतियों का जिन्हे हम शुरु से ही हल्के मे लेते थे!
इसीलिये जिंदगी मे छोटी-छोटी गलतियो मे भी कभी-कभी ध्यान देना चाहिए क्योकी कब कोई छोटी ग़लती एक बड़ा स्वरुप धारण कर ले इसका आभास हमे तब होता है जब छोटी गलती बडी ग़लती मे बदल जाती है जिसकी रकम हमे बहुत कुछ खोकऱ चुकानी पड़ती है!!

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