बदलाव

होने के लिए हर इंसान मे हर साल, हर, महिने, हर दिन, हर सेकेंड कुछ-न-कुछ बदलाव आता है!
इंसान अपनी प्राथमिकताओ के कारण समय-समय पर बदलता रहता है! वो आज क्या है, किन लोगो के साथ है ये सब 2-3 महिने मे भूल जाता है क्योकी इंसान की प्राथमिकताएँ वक्त के साथ बदलती रहती है वो अपनो के लिए भी प्राथमिकताओ की वजह से बदलता रहता है!
क्या हर साल, हर, महिने, हर दिन, हर सेकेंड हमे अपनी प्राथमिकताओ की वजह से खुद को औरों के लिए बदलना चाहिये???
नही!!! क्योकी हर एक दिन नया होता है, हर दिन कुछ-न-कुछ बदलेगा ही! लेकिन कुछ चीजे नही बदलती जैसे सूरज....
वो रोज की तरह हर सुबह उसी तेज के साथ उसी आकार मे पूरी दूनिया को प्रकाशित करता है वो कभी हमारे लिए नही बदलता!
क्या उसकी प्राथमिकताएँ नही हो सकती??
प्राथमिकताएँ हर किसी की होती है उनके लिए हम खुद के लिए थोडा बदल सकते है लेकिन औरों के लिए नही!
                   
बदलाव इंसान मे ज़रूरी है क्योकी कभी -कभी परिस्थितियां ऐसी हो जाती है जहां इंसान को खुद को बदलना ही पड़ता है!
लेकिन इंसान को कभी भी अपने आस-पास के करीबी लोगो के लिए नही बदलना चाहिये क्योकी कुछ वो ही तो है जो हमारे हर बदलाव मे हमारे साथ रहते है चाहे वो बदलाव सुख का दुख मे हो या दुख का सुख में! हमारे सही बदलाव मे हमे सहारा भी वो ही देते है और गलत बदलाव मे सही होने के लिए अकल भी वो ही देते है! 

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