एक सफल व्यक्ति कुछ पाने की इच्छा से प्रेरित होता है ना कि औरों को हारने की!!😊 जीवन मे दूसरो को गलत साबित करने से बेहतर खुद को सही साबित करने का प्रयास करो,, परिणाम स्वरुप सफलता जरुर मिलेगी!! 😊
यूं तो हमेशा खुश कोई रह नही सकता, पर क्या हमेशा चिन्तित रहना सही है?? बिलकुल नही!!! हम छोटी-छोटी बात पर खुद को कोसते है, हमेशा जिंदगी से तरह-तरह के प्रश्न करते रहते है -ऐसा नही हुआ तो...
देखा जाए तो जिंदगी और मुश्किलों में आपस में कुछ अटूट संबंध है । मुश्किलें हर कदम पर जिंदगी को चुनौती देती रहती है ।। यदि कोई काम बिना मुश्किल के हो जाए तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई चमत्कार हुआ हो हम सामान्य जिंदगी की बात करे तो सुबह से शाम तक जिंदगी में मुश्किलें ही मुश्किलें नज़र आती है -घर में सुबह पानी न आए तो मुश्किल, काम के लिए देर हो जाएं तो मुश्किल,मालिक को काम पसंद न आए तो मुश्किल , घर में कुछ परेशानीयां हो जाएं तो मुश्किल , यही अगर विद्यार्थी जीवन की बात करें तो - सुबह देर से क्लास गए तो मुश्किल, प्रोजेक्ट समय से न हो तो मुश्किल, रात को पड़ते वक्त लाइट चले जाए तो मुश्किल।। जिंदगी कुछ ऐसी ही छोटी-बड़ी मुश्किलों से रोज गुजरती है सच कहूं तो हमारा हर दिन मुश्किलों से भरा रहता है पर इसका मतलब यह नही की मुश्किलों के देख कर मुश्किलों से हार कर उसकी सजा हम अपनी जिंदगी को दें और कुछ उल्टे कदम उठा लें। हमारी जिंदगी में मुश्किलें दो तरह की होती है -एक जो हमें रुला दें और दूसरी जो हमें लड़ने पर मजबूर कर दें।। मुश्किलों के देख कर रोना, कमजोर पड़ना किसी...
भारत लगभग 65% युवा आबादी वाला देश है लेकिन आज किसी को उसकी फिक्र नहीं । मुहं से कह देते है भारत यंग कंट्री है लेकिन आप उनका प्रयोग करने की स्थिति में ही नही हो। अगर आप उनके लाभ के लिए कुछ कर सकते हो तब आप कह सकते हो ये है हमारी युवा आबादी ये है ये हमारा युवा भारत है । लेकिन कौन सोचता है कि आपके गांव में, आपके शहर में, आपके जिले में, आपके राज्य में कितने लोग बेरोजगार है क्या किसी को फिक्र है इस बात की? घर वालो को हो सकती है फिक्र लेकिन क्या सिस्टम को फिक्र है?? कायदे से शहर और गांव के युवकों के लिए अलग - अलग युवा नीति होनी चाहिए जो की अभी तक यूथ पॉलिसी में नही है क्योकी एक तरफ गांव का युवक जो खेती में लगने वाला, मजदूरी करने वाला है और उसकी तुलना में शहर का जो उच्च शिक्षा /डिपलोमा ले रहा है अब इन दोनो के लिए एक जैसी योजनाएँ तो हो ही नही सकती । आपके देश में किस व्यवसाय में कितने मजदूरों की जरुरत है आपको कहां किस दर्जे के लोगों की ज़रूरत इसका पूरा हिसाब होना चाहिए तब आप एक योजना बनाइये । आप ये सोच के चलो कि आज देश को खेती की दृष्टि से आत्मनिर्भर रखने के...
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