प्रायः हम कडवी दवा को चबाते नही सीधा गटक लेते है
ठीक इसीप्रकार जीवन में भी अपमान,असफलता और धोखे जैसी कडवी बातो को सीधे गटक लेना चाहिए क्योकी उन्हें चबाते रहेंगे यानी याद करते रहेंगे तो जीवन कडवा ही होगा !😊
बात अगर हम अपनें सामर्थ्य की करें तो अकसर हम मुश्किलों को देख खुद को कुछ करने से रोक लेते है औऱ उस काम को करने की उम्मीद छोड़ देते है । लेकिन यदि एक बीज को देखे तो हम उसे ज़मीन के नीचे दफना देते है, फिर भी उसमे इतना सामर्थ्य होता कि वो अपनी सीमाओं से परे जाकर ज़मीन का सीना चीर अपनी शाखाऍ बनाता है औऱ एक बड़ी उम्मीद लेकर अपने सपनों के आसमान को देखता है । जब एक बीज ज़मीन के नीचे रहकर अपनी सीमाओं के परे बड़ी शाखाऍ बना सकता है तो हम तो फिर भी ज़मीन के ऊपर रहते है हम क्यों नही!!?
देखा जाए तो जिंदगी और मुश्किलों में आपस में कुछ अटूट संबंध है । मुश्किलें हर कदम पर जिंदगी को चुनौती देती रहती है ।। यदि कोई काम बिना मुश्किल के हो जाए तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई चमत्कार हुआ हो हम सामान्य जिंदगी की बात करे तो सुबह से शाम तक जिंदगी में मुश्किलें ही मुश्किलें नज़र आती है -घर में सुबह पानी न आए तो मुश्किल, काम के लिए देर हो जाएं तो मुश्किल,मालिक को काम पसंद न आए तो मुश्किल , घर में कुछ परेशानीयां हो जाएं तो मुश्किल , यही अगर विद्यार्थी जीवन की बात करें तो - सुबह देर से क्लास गए तो मुश्किल, प्रोजेक्ट समय से न हो तो मुश्किल, रात को पड़ते वक्त लाइट चले जाए तो मुश्किल।। जिंदगी कुछ ऐसी ही छोटी-बड़ी मुश्किलों से रोज गुजरती है सच कहूं तो हमारा हर दिन मुश्किलों से भरा रहता है पर इसका मतलब यह नही की मुश्किलों के देख कर मुश्किलों से हार कर उसकी सजा हम अपनी जिंदगी को दें और कुछ उल्टे कदम उठा लें। हमारी जिंदगी में मुश्किलें दो तरह की होती है -एक जो हमें रुला दें और दूसरी जो हमें लड़ने पर मजबूर कर दें।। मुश्किलों के देख कर रोना, कमजोर पड़ना किसी
उन्होने तो यह सोच कर आजादी दिलाई थी, यह सोच कर देश का संविधान बनाया था कि हमारी आने वाली भारतीय युवा पीढी उनके जाने के बाद देश का गौरव बढायेगी,देश का हर नागरिक (युवा) भारत मां की सेवा में अपना सहयोग देगा । लेकिन आज यदि वो होते तो उनके अंदर का भी देशभक्त मर जाता जब देखते की जिन युवाओं के लिए वो देश पर जान की बाजी लगा रहे है, जिन युवाओं के लिए संविधान बना रहें हैं वो युवा तो बस चंद ताऱीखो में ही भाऱत माता को याद किया करते है, अपने देश में ही नारेबाजी करके भारतीयता का अपमान करते हैं,तिरंगे के सामने राष्ट्रगान गाने के लिए अपने बिस्तर से तक निकलने का जज्बा नही रखते । आज तो बस युवाओं का देशभक्त सोशल मीडिया पर ही जागता है ।। अगर आज मेरे देश में ये सब नही होता तो मैं भी अपने सोशल-मीडिया नेटवर्क पर भारत माता की जय लिखता, सभी को गणतन्त्रता दिवस की शुभकामनाये देता मगर अफसोस यह है ये सब देख कर ,ये सब सुन कर मेरा दिल कहता है तुम भी तो बाकी सभी की तरह सोशल -मीडिया नेटवर्क तक ही अपनी देशभक्ती दिखा रहे हो । देशभक्ती दिखानी है तो देश के हित के लिए
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