अगर ये लगने लगे की लक्ष्यहासिल नही होगा, तो लक्ष्य को नही अपने प्रयासो को बदले!!!!! इसीलिये जीवन मे हमेशा दो योजनाओं के साथ चलना चाहिए, अगरएक योजना विफलहुई तो दूसरी योजना अवश्य ही लक्ष्यहासिलकर लेगी!!!
देखा जाए तो जिंदगी और मुश्किलों में आपस में कुछ अटूट संबंध है । मुश्किलें हर कदम पर जिंदगी को चुनौती देती रहती है ।। यदि कोई काम बिना मुश्किल के हो जाए तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई चमत्कार हुआ हो हम सामान्य जिंदगी की बात करे तो सुबह से शाम तक जिंदगी में मुश्किलें ही मुश्किलें नज़र आती है -घर में सुबह पानी न आए तो मुश्किल, काम के लिए देर हो जाएं तो मुश्किल,मालिक को काम पसंद न आए तो मुश्किल , घर में कुछ परेशानीयां हो जाएं तो मुश्किल , यही अगर विद्यार्थी जीवन की बात करें तो - सुबह देर से क्लास गए तो मुश्किल, प्रोजेक्ट समय से न हो तो मुश्किल, रात को पड़ते वक्त लाइट चले जाए तो मुश्किल।। जिंदगी कुछ ऐसी ही छोटी-बड़ी मुश्किलों से रोज गुजरती है सच कहूं तो हमारा हर दिन मुश्किलों से भरा रहता है पर इसका मतलब यह नही की मुश्किलों के देख कर मुश्किलों से हार कर उसकी सजा हम अपनी जिंदगी को दें और कुछ उल्टे कदम उठा लें। हमारी जिंदगी में मुश्किलें दो तरह की होती है -एक जो हमें रुला दें और दूसरी जो हमें लड़ने पर मजबूर कर दें।। मुश्किलों के देख कर रोना, कमजोर पड़ना किसी
यूं तो हमेशा खुश कोई रह नही सकता, पर क्या हमेशा चिन्तित रहना सही है?? बिलकुल नही!!! हम छोटी-छोटी बात पर खुद को कोसते है, हमेशा जिंदगी से तरह-तरह के प्रश्न करते रहते है -ऐसा नही हुआ तो ऐसा कैसे होगा?, उसने मेरे लिए ऐसा कहा उसने मेरे लिए ऐसा किया, वो एक समय ऐसा था आज हमे पूछता तक नही, वो और हम एक समय बढिया दोस्त हुआ करते थे लेकिन काम निकला तो अब हाय -हेलो भी नही करता! कुछ ऐसे सवाल कुछ ऐसी छोटी -छोटी शिकायतें ही इंसान को नकारात्मक सोचने मे मजबूर कर देते है! अगर ऐसे ही जिंदगी से शिकायत करते रह गए तो एक दिन शिकायतें सुन - सुन कर जिंदगी भी अपने पद पर से इस्तिफा दे देगी! क्यो नही कर लेते ऐसा जिसके बाद ये न सोचना पड़े की अब कैसा होगा, अरे क्यो नही करते कुछ खास जिसके बाद तुमसे कुछ पूछने के लिए लोगो को लाइन लगानी पड़े! करने दो जिसको जैसा करना है तुम्हारे साथ, तुम क्यो याद करते हो ऐसे दोस्तों को जो बस कुछ समय निकालने के लिए , अपना काम निकालने के लिए तुमसे सम्पर्क मे रहते है! दिखा दो सबको की तुम कमजोर नही जिन्हे हर वक्त दूसरो के सहारे जीने की आदत हो! कुछ ऐसा करो, कुछ ऐसा बदला
उन्होने तो यह सोच कर आजादी दिलाई थी, यह सोच कर देश का संविधान बनाया था कि हमारी आने वाली भारतीय युवा पीढी उनके जाने के बाद देश का गौरव बढायेगी,देश का हर नागरिक (युवा) भारत मां की सेवा में अपना सहयोग देगा । लेकिन आज यदि वो होते तो उनके अंदर का भी देशभक्त मर जाता जब देखते की जिन युवाओं के लिए वो देश पर जान की बाजी लगा रहे है, जिन युवाओं के लिए संविधान बना रहें हैं वो युवा तो बस चंद ताऱीखो में ही भाऱत माता को याद किया करते है, अपने देश में ही नारेबाजी करके भारतीयता का अपमान करते हैं,तिरंगे के सामने राष्ट्रगान गाने के लिए अपने बिस्तर से तक निकलने का जज्बा नही रखते । आज तो बस युवाओं का देशभक्त सोशल मीडिया पर ही जागता है ।। अगर आज मेरे देश में ये सब नही होता तो मैं भी अपने सोशल-मीडिया नेटवर्क पर भारत माता की जय लिखता, सभी को गणतन्त्रता दिवस की शुभकामनाये देता मगर अफसोस यह है ये सब देख कर ,ये सब सुन कर मेरा दिल कहता है तुम भी तो बाकी सभी की तरह सोशल -मीडिया नेटवर्क तक ही अपनी देशभक्ती दिखा रहे हो । देशभक्ती दिखानी है तो देश के हित के लिए
Good one.👍
ReplyDeleteGood one👍
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