नज़र का धोखा!

हम  प्रायः उन्हे सही समझते है जो हमारी सारी उम्मीदों पर खडे उतरते है और जो उम्मीद पर खडा नही हुआ उसे दूसरी नजरो से देखते है या फिर अपना विरोधी समझ लेते है!
ऐसा ज़रूरी नही की हर वो व्यक्ति जो हमारी उम्मीद पर खडा उतरे वो सही ही हो... अकसर कुछ लोग अपनी उत्तम छवि बनाने के लिए हमारे सामने मीठी-मीठी /झूटी बातें कह कर हमे भ्रमित करने का प्रयत्न करते है और हम हो भी जाते है! 😊
क्योकी कुछ लोगो में एक अनोखी बात होती है  वो ये कि वह हर दूसरी जगह पर अपनी ही  बात पर बदल जाते है और अकसर अपनी ही बात भूल जाते है फिर कहते है हमने तो ऐसा कभी कहा ही नही! 😊
हमे भी तो ज्यादातर मीठी बातें ही बढिया लगती है जबकी यह भी हम सब जानते है कि प्रायः सच बात चुभती है, नीम के पत्तो की तरह कडवी होती है!
इसीलिये जिस तरह नीम के कडवे पत्तो का रस सेहत के लिए लाभदायक होता है उसी प्रकार कडवा सच भी जीवन के लिए लाभदायक होता है जिससे हम "नजर के धोखे" से बच सकते है!! 😊

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